प्रश्न : ‘‘लब्बैका अल्लाहुम्मा लब्बैक .. लब्बैका ला शरीका लका लब्बैक .. इन्नल-हम्दा वन्ने-मता लका वल-मुल्क, ला शरीका लक’’ यही वह तल्बियह है जिसे हज्ज व उम्रा करने वाले पुकारते हैं। तो इसका अर्थ क्या है तथा इसका क्या लाभ है?
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।. हाजी के हज्ज में प्रवेश करने के प्रथम पल से ही हज्ज तौहीद (एकेश्वरवाद) का प्रतीक है। जाबिर बिन अब्दुल्लाह रज़ियल्लाहु अन्हु नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के हज्ज का तरीक़ा वर्णन करते हुए कहते हैं : ‘‘ फिर आपने यह कहते…